कसुती मासुम थी वा
जिसकॆ स्यामी बॆठ लिखना सीखा था
बडी अजीब थी उसकी हास्सी
जिसके स्यामी हर पकवान फीका था
फेर तन्हा करग्यी जो थामा था उसने मेरा हाथ
बहोत दुर चली ग्यी छोड क मन्नॆ मेरी कलम के साथ ।
- तु हवा सी चली ग्यी
- Want New Motorcycle
कसुती मासुम थी वा
जिसकॆ स्यामी बॆठ लिखना सीखा था
बडी अजीब थी उसकी हास्सी
जिसके स्यामी हर पकवान फीका था
फेर तन्हा करग्यी जो थामा था उसने मेरा हाथ
बहोत दुर चली ग्यी छोड क मन्नॆ मेरी कलम के साथ ।